मैं इस लिए लिखता रहता हूँ की कही मेरा लिखना भी मेरी जिंदगी की तरह किसी और के नाम न हो जाये 1 सभी साक्षी है मेरे दोस्त हित मित्र और मेरे शुभ चिन्तक मेरी कलम जो भी लिखती है केवल उसी के लिए लिखती है 1 ये हिसाब है उन हादसों और परिस्थितियो की चुप्पी का जो मेरे मनं के चेतन अचेतन गहराईयों में बे आवाज घटते व उठते रहते हैं , अधूरे समझौतों और कर्जाई मुस्कुराहटों का लेखा जोखा
शिकायत कभी मेरे दिल को यह नहीं रहा की मुझे कुछ मिला ही नहीं , बहुत कुछ पाया है मैंने , बस वक्त पर ही कभी कुछ नहीं मिला ! न जाने खुशियों के सारे पोस्ट डैदित चैक मेरे हिस्से में ही क्यों आते है ? जिन्हें उसे मै कभी येन कैश नहीं कराता और न ही कोशिश ही करता हूँ ! क्यों कि मेरे अन्दर भी एक अलग स्वाभिमान है , अलग वसूल है ! जो कह देता हु वही करता हु चाहे जो हो जाये ! पता नहीं क्यों जिसे मै अपना समझता हू , जान से भी ज्यादा मानता हूँ , समझता हूँ , प्यार करता हूँ , वही मेरे खिलाफ हो जाता है !
मेरी चाहत कभी जुबां नहीं खोलती पर वह निराकार भी नहीं है ..........................! मैंने पल पल उन्हें जिन्दा जागते जिस्म कि तरह महसूस करता हूँ , छूता हूँ , जीता हूँ ! इस लगन व हालत में मैंने अपना नाम , पता , उद्देश्य भी खो दिया ! मुझे अपनी चलती नब्ज से खून कि रवानी से ,चलते साँस से भी उसी एक आरोप का नाम आती रहती है जो मैंने गुनाह किया ही नहीं था ! यह नहीं कि मेरी ईस चाहत ने मुझे दुःख नहीं दिया , तकलीफ नहीं दी ! उसने खुद मेरे विश्वास कि सादा सफ़ेद चादर पर मैले पैबंद , झूठे आरोप लगाये हैं ! पर मेरा ही दिल उसे कभी दोषी नहीं ठहरा पाता है ! अपने इस '' जीने पर '' कई बार मैंने खुद अपने सामने सिजदे में सर झुकाया है ! यह नहीं कि मुझे जीने के लिए ख़ुशी के मौके नहीं मिले , सच यह है कि मैंने कभी उसे अपनाना चाहा ही नहीं ! मैं आधा अधुरा कुछ चाहता नहीं और पूर्ण मिल नहीं सकता था !
आज यह टूटे हुए दिल में उभरी हुई बात उसे एक के नाम है जिसके जिंदगी में आरोप लग जाने के बाद मेरी जिंदगी भी हमेशा के लिए हँसाना ही भूल गई और फिर कभी हंसाने कि स्तिथि ही नहीं बना पाई ! डरता हू कि यह कही न हो कि यह सब औरो तक तो पहुँच जाए और उस तक कभी पहुँच ही न पाए जिसके लिए मै लिखता रहता हूँ ! किसी भी तरह के हक़ का कोई दावा नहीं है उस पर ! तभी तो अपने बिखरे हुए अहसासों को कभी उस तक पहुँचाने कि कोशिश नहीं कि ! फिर भी टूटे दिल कि तुफानो में कभी कभी एक लहर उठती है कि जिंदगी के ईतने लम्बे तनहा रेगिस्तानी कोसों में कभी कभी एक बार भी वह जान लेते कि मेरी प्यास कि शिद्दत में कोई कमी नहीं थी तभी तो मैंने उसे रेत नहीं पानी ही समझा था !
आपका ----
जय सिंह