
शादी के बाद दुर्गति तो
लड़की की होती है लेकिन
घड़ियाली आंसू
बहाता लड़का है !
आज़ादी छिनी
लड़की की
लेकिन
ग़ुलामी का ढिंढोरा
पीटता लड़का है !
असली समझौता तो
लड़की करती है
लेकिन खुद को क़ैदी
समझता लड़का है !
लड़की का घर छूटा
माँ - बाप, भाई-बहन
सहेलियां छूटीं !
उसकी आज़ादी छिनी
घूमने की, पहनने की,
नौकरी करने की,
हँसने-बोलने की,
कहीं आने-जाने की !
उसे ग़ुलामी मिली
खाना बनाने की
सास-ससुर की सेवा की,
डांट-फटकार सहने की
कभी-कभी पिटने की भी
घर भर के कपड़े धुलने की !
और लड़के को �
उसको तो घर बैठे
एक नौकरानी मिली
साथ में दहेज़ भी
वंश बढ़ाने वाली मशीन
और रोबोट की तरह
बिना तर्क किये
हर सही-ग़लत हुकुम की
तामील करने वाली
एक निजी संपत्ति भी !
शादी के बाद लड़की की
तुलना में लड़कों को
न के बराबर कमप्रमाइज़
करना पड़ता है
लेकिन दुनिया भर में
ढिंढोरा लड़के ही
पीटते हैं !
इसलिए
शादी के बाद
अपनी आज़ादी छिनने
का रोना रोने वाले !
सारा दोष
वाइफ़ पे थोपने वाले
संस्कारी मर्दो !
एक बार
दूसरे तरह से भी
सोच कर देखो !
फ़र्ज़ करो कि
शादी के बाद तुम्हें
अपना घर
माँ-बाप, भाई-बहन
गाँव और मित्र सब छोड़ना पड़े
जींस, टी-शर्ट की जगह
साड़ी पहननी पड़े
घर में बंद रहना पड़े
खाना बनाना पड़े
बर्तन-कपड़े धुलने पड़ें
डांट-फटकार सहना पड़े
कहीं आने -जाने पे
पाबंदी लग जाए तो
क्या हाल होगा तुम्हारा?
इसलिए आगे से
दोषारोपण करने से पहले
और
घड़ियाली आंसू
बहाने से पहले
सौ बार सोचना !
अपने पार्टनर को
इंसान समझिये
मशीन नहीं !
साथी समझिये
नौकरानी नहीं !
उसका हाथ बंटाइए
फ़रमान मत सुनाइए !
उसकी आज़ादी
उसे दीजियेए क़ैद नहीं !
प्यार करिए
दया मत दिखाइए !
अपना सब कुछ
छोड़ के आई है
इसलिए !
तुमसे अधिक आज़ादी
हक़- बराबरी और सम्मान
डिज़र्व करती है लड़की
ये बात जिस दिन आपके
भेजे में घुस गयी
ज़िन्दगी बहुत
ख़ूबसूरत दिखने लगेगी!
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