मंगलवार, 4 सितंबर 2012

शिक्षक दिवस पर विशेष



 आपके अशिर्बाद से ,
तालीम से और ज्ञान से
उपदेश से , उसूल से
सार और व्याख्यान से
अप्रमाण जीवन को मिली 
परिधि नई,नव दिशा
श्वेत मानस पटल पर 
स्वरूप विद्या का धरा
डगमगाते कदम को 
नेक राह दीआधार दिया
संकीर्ण ,संकुचित बुद्धि को 
अनंत सा विस्तार दिया
पहले सेमल से कपास 
पश्चात कपास को सूत कर 
रूई को आकृति एक 
और बाती सा सुन्दर नाम दिया
कभी आचार से ,
सदाचार से ,
कभी नियम-दुलार से
उद्दंडता को दंड देकर 
हमे विकसित कियाआयाम दिया.
निर्लोभ रह देते रहे सब ,
न कुछ अभिलाषा रही
पात्र जीवन मे सफल हो 
शायद यही आशा रही
आपके ऋण से उऋण किसी हाल हो सकते नहीं
कुछ शब्द मे अनुसंशा कर जज़्बात कह सकते नहीं
गुरुवर मेरे सिर पर पुनः 
आशीषमय कर रख दीजिये
जय इतना आगे बढे 
उतना मार्गदर्शन दीजिये
जय सिंह 


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