उपदेश से , उसूल से ,
सार और व्याख्यान से
सार और व्याख्यान से
अप्रमाण जीवन को मिली
परिधि नई,नव दिशा
परिधि नई,नव दिशा
श्वेत मानस पटल पर
स्वरूप विद्या का धरा
स्वरूप विद्या का धरा
डगमगाते कदम को
नेक राह दी, आधार दिया
नेक राह दी, आधार दिया
संकीर्ण ,संकुचित बुद्धि को
अनंत सा विस्तार दिया
अनंत सा विस्तार दिया
पहले सेमल से कपास
पश्चात कपास को सूत कर
पश्चात कपास को सूत कर
रूई को आकृति एक
और बाती सा सुन्दर नाम दिया
और बाती सा सुन्दर नाम दिया
कभी
आचार से ,
सदाचार से ,
कभी नियम-दुलार से
सदाचार से ,
कभी नियम-दुलार से
उद्दंडता
को दंड देकर
हमे विकसित किया, आयाम दिया.
हमे विकसित किया, आयाम दिया.
निर्लोभ
रह देते रहे सब ,
न कुछ अभिलाषा रही
न कुछ अभिलाषा रही
पात्र जीवन मे सफल हो
शायद यही आशा रही
शायद यही आशा रही
आपके
ऋण से उऋण किसी हाल हो सकते नहीं
कुछ
शब्द मे अनुसंशा कर जज़्बात कह सकते नहीं
गुरुवर
मेरे सिर पर पुनः
आशीषमय कर रख दीजिये
आशीषमय कर रख दीजिये
“जय“ इतना आगे बढे
उतना मार्गदर्शन दीजिये
उतना मार्गदर्शन दीजिये
जय सिंह

behatar abhivyakti sir ji
जवाब देंहटाएंthanks
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