सदियों तक मौन रह कर
ढ़ेरों अन्याय सह कर
लाश बने जीते रहे हो
जहर ही पीते रहे हो
कहा तक दबते रहोगे
और कितना अब सहते रहोगे
बन्धनों को तोड़ दो
भाग्य को कर दो किनारे
बढ़ो कर्मों के सहारे
दासता के बंध खोलो
चुप रहो मत कुछ तो बोलो !!
आपका----
जय सिंह
क्यों की बकरे का बलिदान किया जाता है
लेकिन सिंह का बलिदान करने का साहस
कोई नहीं करता ! इस लिए हम सब
सिंह बने और सिंह की तरह गर्जना करे !
---------------------------- डा ० भीम राव अम्बेडकर
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