शुक्रवार, 27 मई 2011

कुछ तो बोलो

 सदियों तक मौन रह कर 
ढ़ेरों अन्याय सह कर
लाश बने जीते रहे हो 
जहर ही पीते रहे हो
कहा तक दबते रहोगे  
और कितना अब सहते रहोगे 
बन्धनों को तोड़ दो 
भाग्य को कर दो किनारे 
बढ़ो कर्मों के सहारे 
दासता के बंध खोलो 
चुप रहो मत कुछ तो बोलो !!

आपका----
                      जय सिंह 


क्यों की बकरे का बलिदान किया जाता है
लेकिन सिंह का बलिदान करने का साहस
कोई नहीं करता ! इस लिए हम सब 
सिंह बने और सिंह की तरह गर्जना करे !
                    ----------------------------     डा ०  भीम राव अम्बेडकर 

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