शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

क्रांति का पैगाम था, रोहित वेमुला नाम था

वो मर्द था
वो मर्द था वो मर्द था
वो मर्द था वो मर्द था।
सीने में जिसके दर्द था।।
वो टकराया सरकारों से
मनुवादी वाचाल गद्दारों से
दंश मनुवाद का बेदर्द था।
वो मर्द था वो मर्द था।।
झुकना उसने सीखा नहीं
रुकना उसने सीखा नहीं
सच पर चढ़ गया गर्द था।
वो मर्द था वो मर्द था।।
धारा के विरुध लड़ता रहाए
वैरी के सीने पे चढ़ता रहाए
वंचितों का वो हमदर्द था।
वो मर्द थाए वो मर्द था।।
रोहित वेमुला नाम था
वो क्रांति का पैगाम था
आखिर टूट गया जर्द था।
वो मर्द था वो मर्द था।।
सिल्ला रोए जार- जार
तूं याद आए बार-बार
निभा गया वो फर्ज था।
वो मर्द था  वो मर्द था।।
***** जय  सिंह*****

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