बुधवार, 29 अप्रैल 2015

रेलगाड़ी की जनरल बोगी ........


 भारतीय रेल की जनरल बोगी
पता नहीं आपने भोगी कि नहीं भोगी
एक बार हम भी गलती से कर रहे थे यात्रा
प्लेटर्फाम पर देखकर सवारियों की मात्रा
हमारे पसीने छूटने लगे
हम सामान उठाकर घर की ओर फूटने लगे
तभी एक कुली आया
मुस्कुरा कर बोला - सर अन्दर जाओगे क्या  ?
हमने कहा - तुम पहुँचाओगे क्या !
वो बोला - बड़े-बड़े र्पासल पहुँचाए हैं आपको भी पहुँचा दूंगा
मगर रुपये पूरे पचास लूँगा.
हमने कहा - पचास रुपैया ?
वो बोला - हाँ भैया
और दो रुपये आपके बाकी सामान के
हमने कहा - सामान नहीं है, अकेले हम हैं
वो बोला - बाबूजी, आप किस सामान से कम हैं !
भीड़ देख रहे हैं, कंधे पर उठाना पड़ेगा,
धक्का देकर अन्दर पहुँचाना पड़ेगा
वैसे तो हमारे लिए बाएँ हाथ का खेल है
मगर आपके लिए दाँया हाथ भी लगाना पड़ेगा
मंजूर हो तो बताओ
हमने कहा - देखा जायेगा, तुम उठाओ
कुली ने जय बजरंगबली का नारा लगाया
और पूरी ताकत लगाकर हमें जैसे ही उठाया
कि खुद ही जमीं पर  बैठ गया
दूसरी बार कोशिश की तो लेट गया
बोला - बाबूजी पचास रुपये तो कम हैं
हमें क्या मालूम था कि आप आदमी नहीं, बम हैं
भगवान ही आपको उठा सकता है
हम क्या खाकर उठाएंगे
आपको उठाते-उठाते खुद दुनिया से उठ जायेंगे !
तभी गाड़ी ने सीटी दे दी
हम सामान उठाकर भागे 
बड़ी मुश्किल से डिब्बे के अन्दर घुस पाए
डिब्बे के अन्दर का दृश्य घमासान था
पूरा डिब्बा अपने आप में हल्दी घाटी का मैदान था
लोग लेटे थे, बैठे थे, झुके थे, खड़े थे
जिनको कहीं जगह नहीं मिली, वो बर्थ के नीचे पड़े थे
हमने एक गंजे यात्री से कहा - भाई साहब
थोडी सी जगह हमारे लिए भी बनाइये
वो सिर झुका के बोला - आइये हमारी खोपड़ी पे बैठ जाइये
आप ही के लिए साफ़ की है
केवल दो रूपए देना, लेकिन फिसल जाओ तो हमसे मत कहना
तभी एक भरा हुआ बोरा खिड़की के रास्ते चढ़ा 
आगे बढा और गंजे के सिर पर गिर पड़ा
गंजा चिल्लाया - किसका बोरा है ?
बोरा फौरन खडा हो गया
और उसमें से एक लड़का निकल कर बोला
बोरा नहीं है बोरे के भीतर बारह साल का छोरा है
अन्दर आने का यही एक तरीका है
हमने आपने माँ-बाप और पड़ोसी से सीखा है
आप तो एक बोरे में ही घबरा रहे हैं
जरा ठहर तो जाओ अभी गददे में लिपट कर
हमारे बाप जी अन्दर आ रहे हैं
उनको आप कैसे समझायेंगे
हम तो खड़े भी हैं 
वो तो आपकी गोद में ही लेट जाएँगे
 एक अखंड सोऊ, चादर ओढ़ कर सो रहा था 
एकदम कुम्भकरण का बाप हो रहा था 
हमने जैसे ही उसे हिलाया 
उसकी बगल वाला चिल्लाया - 
ख़बरदार हाथ मत लगाना वरना पछताओगे 
हत्या के जुर्म में अन्दर हो जाओगे 
हमने पुछा- भाई साहब क्या लफड़ा है ? 
वो बोला - बेचारा आठ घंटे से एक टाँग पर खड़ा है 
और खड़े-खड़े इस हालत मैं पहुँच गया कि, अब पड़ा है 
आपके हाथ लगते ही ऊपर पहुँच जायेगा 
इस भीड़ में ज़मानत करने क्या तुम्हारा बाप आयेगा ?
एक नौजवान खिड़की से अन्दर आने लगा
तो पूरे डिब्बा मिल कर उसे बाहर धकियाने लगा
नौजवान बोला - भाइयों, भाइयों
र्सिफ खड़े रहने की जगह चाहिए
एक अन्दर वाला बोला - क्या ?
खड़े रहने की जगह चाहिए तो प्लेटर्फोम पर खड़े हो जाइये
जिंदगी भर खड़े रहिये कोई हटाये तो कहिये
जिसे देखो घुसा चला आ रहा है
रेल का डिब्बा सेन्ट्रल जेल हुआ जा रहा है !
इतना सुनते ही एक अपराधी चिल्लाया -
रेल को जेल मत कहो मेरी आत्मा रोती है
यार जेल के अन्दर कम से कम
चलने-फिरने की जगह तो होती है !
एक सज्जन फ़र्श पर बैठे हुए थे आँखें मूँदे 
उनके सर पर अचानक गिरीं पानी की गरम-गरम बूँदें 
तो वे सर उठा कर चिल्लाये - कौन है, कौन है 
साला पानी गिरा कर मौन है 
दिखता नहीं नीचे तुम्हारा बाप बैठा है ! 
क्षमा करना बड़े भाई पानी नहीं है 
हमारा छः महीने का बच्चा लेटा है कृपया माफ़ कर दीजिये 
और अपना मुँह भी नीचे कर लीजिये 
वरना बच्चे का क्या भरोसा ! 
क्या मालूम अगली बार उसने आपको क्या परोसा !!
अचानक डिब्बे में बड़ी जोर का हल्ला हुआ 
एक सज्जन दहाड़ मार कर चिल्लाये - 
पकड़ो-पकड़ो जाने न पाए 
हमने पुछा क्या हुआ, क्या हुआ ? 
वे बोले - हाय-हाय, मेरा बटुआ किसी ने भीड़ में मार दिया 
पूरे तीन सौ रुपये से उतार दिया टिकट भी उसी में था ! 
कोई बोला - रहने दो यार भूमिका मत बनाओ 
टिकट न लिया हो तो हाथ मिलाओ 
हमने भी नहीं लिया है 
गर आप इस तरह चिल्लायेंगे 
तो आपके साथ क्या हम नहीं पकड़ लिए जायेंगे?
वे सज्जन रोकर बोले - नहीं भाई साहब 
मैं झूठ नहीं बोलता मैं एक टीचर हूँ
कोई बोला - तभी तो झूठ है टीचर के पास और बटुआ ? 
इससे अच्छा मजाक इतिहास मैं आज तक नहीं हुआ !
टीचर बोला - कैसा इतिहास मेरा विषय तो भूगोल है 
तभी एक विद्र्याथी चिल्लाया - बेटा इसलिए तुम्हारा बटुआ गोल है !
बाहर से आवाज आई - गरम समोसे वाला
अन्दर से फ़ौरन बोले एक लाला 
 दो हमको भी देना भाई 
सुनते ही ललाइन ने डाँट लगायी - बड़े चटोरे हो ! 
क्या पाँच साल के छोरे हो ? 
इतनी गर्मी  में खाओगे ? 
फिर पानी को तो नहीं चिल्लाओगे ? 
अभी मुँह में आ रहा है समोसे खाते ही आँखों में आ जायेगा 
इस भीड़ में पानी क्या रेल मंत्री दे जायेगा ?
तभी डिब्बे में हुआ हल्का उजाला 
किसी ने जुमला उछाला ये किसने बीड़ी जलाई है ? 
कोई बोला - बीड़ी नहीं है स्वागत करो 
डिब्बे में पहली बार बिजली आई है 
दूसरा बोला - पंखे कहाँ हैं ? 
उत्तर मिला - जहाँ नहीं होने चाहिए वहाँ हैं 
पंखों पर आपको क्या आपत्ति है ? 
जानते नहीं रेल हमारी राष्ट्रीय संपत्ति है 
कोई राष्ट्रीय चोर हमें गच्चा दे गया है 
संपत्ति में से अपना हिस्सा ले गया है 
आपको लेना हो आप भी ले जाओ 
मगर जेब में जो बल्ब रख लिए हैं 
उनमें से एकाध तो हमको दे जाओ !
अचानक डिब्बे में एक विस्फोट हुआ 
हलाकि यह बम नहीं था 
मगर किसी बम से कम भी नहीं था 
यह हमारा पेट था उसका हमारे लिए संकेत था 
कि जाओ बहुत भारी हो रहे हो हलके हो जाओ 
हमने सोचा डिब्बे की भीड़ को देखते हुए 
बाथरूम कम से कम दो किलोमीटर दूर है 
ऐसे में कुछ हो जाये तो किसी का क्या कसूर है 
इसीलिए  रिस्क नहीं लेना चाहिए 
अपना पडोसी उठे उससे पहले अपने को चल देना चाहिए 
सो हमने भीड़ में रेंगना शुरू किया 
पूरे दो घंटे में पहुँच पाए 
बाथरूम का दरवाजा खटखटाया तो भीतर से एक सिर बाहर आया 
बोला - क्या चाहिए ? 
हमने कहा - बाहर तो आजा भैये हमें जाना है 
वो बोला - किस किस को निकालोगे ? अन्दर बारह लोग खड़े हैं 
हमने कहा - भाई साहब हम बहुत मुश्किल में पड़े हैं 
मामला बिगड़ गया तो बंदा कहाँ जायेगा ? 
वो बला - क्यूँ आपके कंधे पे जो झोला टँगा है
 वो किस दिन काम में आयेगा ... 
इतने में लाइट चली गयी 
बाथरूम वाला वापस अन्दर जा चुका था 
हमारा झोला कंधे से गायब हो चुका था 
कोई अँधेरे का लाभ उठाकर अपने काम में ला चुका था 
अचानक गाड़ी बड़ी जोर से हिली 
एक यात्री ख़ुशी के मारे चिल्लाया - अरे चली, चली
कोई बोला - जय बजरंग बली, कोई बोला - या अली 
हमने कहा - काहे के अली और काहे के बली ! 
गाड़ी तो बगल वाली जा रही है 
और तुमको अपनी चलती नजर आ रही है ? 
प्यारे ! सब नज़र का धोखा है 
दरअसल ये रेलगाडी नहीं 
भारत सरकार की रेल है 
हमारी ज़िन्दगी तो बस नेताओ के लिए खेल है .
जय सिंह 

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