शुक्रवार, 9 मई 2014

माँ....

             माँ....


माँ.... तेरी गोद
मुझे मेरे अनमोल होने का एहसास कराती है |
माँ.... तेरी हिम्मत
मुझे संसार जितने का विश्वास दिलाती है |
माँ.... तेरी सीख
मुझे आदमी से इन्सान बनाती है |
माँ.... तेरी डॉट
मुझे रोज़ नई राह दिखाती है |
माँ.... तेरी सूरत
मुझे मेरी पहचान बताती है |
माँ.... तेरी पूजा                  
मेरी हर पाप मिटाती है |
माँ.... तेरी लोरी
अब भी मीठी नींद सुलाती है |
माँ.... तेरी एक मुस्कान
रोज़ सारी  थकान मिटाती है |
माँ.... तेरी याद
हर पल मुझे बेचैन कर जाती है |
माँ.... ये तेरी प्यारी तस्वीर
मेरे अकेलेपन को दूर भगाती है ||
माँ.... ओ मेरी माँ..... |

आपका ---- जय सिंह 

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