पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले पर कड़ा कदम उठाने की सत्ताधीशों से अपील करती नई कविता
युद्ध टले उस दुश्मन को फुसलाना बहुत जरुरी था
ये माना लाहौर तुम्हारा जाना बहुत जरुरी था
विपक्षियों के आगे होती नाकामी से बचना था
युद्ध थोपने वाली घातक बदनामी से बचना था ।
अटल सरीखा तुमने भी भरकस प्रयास कर डाला जी
लेकिन नहीं सुलझ पायेगा ये मकड़ी का जाला जी
बगुले वेद मंत्र पढ़ करके हंस नही हो सकते हैं
घास चबाकर के सियार गौ वंश नही हो सकते हैं ।
गधे कभी योगासन करके अश्व नही हो पाएंगे
कौए हरगिज़ नही कोकिला स्वर में गीत सुनाएंगे
बुद्ध और अम्बेडकर के भारत का फिर से सम्मान हुआ
छुरा पीठ पर फिर से खाया, घायल 'कोट -पठान' हुआ
कायरता का तेल चढ़ा है, लाचारी की बाती पर
दुश्मन नंगा नाच करे है, भारत माँ की छाती पर
दिल्ली वाले इन हमलों पर दो आंसू रो देते हैं
कुत्ते पांच मारने में, हम सात शेर खो देते हैं
सत्ता में आने से पहले, जान झोंकने वाले थे
तुम तो पापी पाकिस्तान से ताल ठोकने वाले थे
सत्ता मिलते ही लेकिन ये अब कैसी लाचारी है
माना तुम पर बहुत बड़ी भारत की ज़िम्मेदारी है
उठो बढ़ो आगे, भारत की माटी का उपकार कहे
हर हमले में मरने वाले सैनिक का परिवार कहे
अल्टीमेटम आज थमा दो, आतंकी सरदारों को
भारत फिर से नही सहेगा, भाड़े के हत्यारों को
बाज अगर जल्दी ना आये, तुम अपनी करतूतों से
ये इस्लामाबाद पिटेगा, हिंदुस्तानी जूतों से
एटम बम दो चार बनाकर कब तक यूँ धमकायेगा
अगर पहल हमने कर दी, तू जड़ से ही मिट जाएगा
छप्पन इंची सीने को अब थोडा और बढ़ाओ जी
सेनाओं को खुली छूट देकर उस पार चढ़ाओ जी
वर्ना तुम भी नामर्दी के रोगों से घिर जाओगे
कुर्सी से गिरने से पहले नज़रों से गिर जाओगे।।।।।
@ जय सिंह
बहुत ही अच्छा
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