रविवार, 29 सितंबर 2013

शादियों का मौसम नजदीक आ रहा है




शादियों का मौसम नजदीक रहा है
हर दिन नया न्योता घर पर रहा है
बिचौलिए द्वारा लड़की को
सुशील,सुन्दर,गुणवती,रूपवती और
प्यार करने वाली बताया जा रहा है
मुस्कुराती खुबसुरत लड़की की
साथ में अनेक पोज में फोटो खुब रहा है
मुझे भी एक दोस्त की गुजरा जमाना याद रहा है
कुछ साल पहले उसने भी शादी रचाई थी
शादी उसी लड़की से होगी, जीत घर वालो से पाई थी
यही थी उसकी आखिरी जीत जो उसने पाई थी
शादी के बाद तो, चुम्बन बसहारसे पाई थी
शक्ल जो उन्होंनेमुहं दिखाईके समय ऐसी बनाई थी
असल तेवरों में उनके, झलक उसने तब पाई थी
पूरे एक साल तक दी थी उसने -एम०आई०
सात दिन के उस हनीमून की
जो विदेश में मनाई थी
यूं तो बाज़ार हर हप्ते जाता है
भर-भर कर सामान हमेशा घर भी लाता है
पर कब की थी खुद की खरीददारी
याद करने में दिमाग पर थोड़ा जोर लग जाता है
उसे क्या है पहनना, कपड़े भी मैडम के हाथों तय किया जाता है
ड्रेस तो बस एक ही ली जाती है,
उनकी पत्नी को पसंद पांच घंटे में आती है
शोपिंग में हमेशा नाराज़ हो जाती है
तोहमत भी हमेशा दोस्त पर ही आती है
शॉपिंग इतनी हो चुकी
थक कर खाना अब कहाँ बनायेंगे
पास में ही रेस्टोरेंट है डिअर
चलो डिनर कर के ही घर जायेंगे
फरमाइशें और पत्नी
पर्यावाची से नज़र अब आते है
शादी के बाद पत्नी ही सही होती है
अपने सारे लोजिक गलत से नज़र आते है
होता होगा कभी .................
जब होता होगा की पत्नी डर जाती थी
आँखों में ढेर सारा आंसू लाती थी
सिंघनी सी आज वो दहाड़ती है
पतिदेव बकरी जैसी मिमियाते है
मायके आज कल कहा किसको जाना होता है
बोर हुए माँ-बाप, बिटिया के घर हॉलिडे मनाना होता है
संभल कर आप हाथ रखे, दर्द से हालत बदल जाते है
दोस्तों सोच समझ कर कीजिये शादी
शादी के बाद सारे समीकरण बदल जाते है
पत्नी की सारी जिम्मेदारी आप पर
और आप उनकी जिम्मेदारी में कहीं नज़र नहीं आते है ||

? जय सिंह
(युवा कवि, व्यंगकार, कहानीकार)



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