मंगलवार, 22 जुलाई 2014

तेरी जाति क्या है रे ?

बच्चे होते है कोरे कागज की तरह
मन होता है कोमल और सच्चा
तभी तो सब कहते है की ये है बच्चा
उनको नहीं होती है जीवन की कोई परवाह
न वर्तमान का भय  न भविष्य की चिंता
उनको नहीं पता होता है क्या है हालत क्या है व्यवस्था
बातों में बहलना बच्चों का स्वभाव होता है
मौन का सन्नाटा उनके लिए अभिशाप होता  है
प्रकृति की गोद में उद्धम किए बिना उन्हें रहा नही जाता
सारी प्रकृति उन्हें माँ की तरह लगती है
उन दिनों मास्टर जी
बच्चे, बुड्ढे , औरत, युवक, के स्वभाव को समझता था
पर आज ऐसा सर्वनाश हुआ की कुछ नहीं जानते
और बच्चो के सामाजिक भावना को है ललकारते
अधिकांश बाते न ही जानते है और न ही जानने की चेष्टा करते है
बच्चे के मन को बहलाने की आशय से
यूँ ही पूछ लिया  "तेरी जाति क्या है रे "?
सवाल सुनते है बच्चे का शरीर में कपकपी सी हो गई
बच्चा कुछ बताना चाहता था
पर उसकी हिम्मत ने जबाब दे दिया
और कुछ बताने से पहले है उसकी शाहस को हमेशा के लिए मार दिया |

..........................जय सिंह 

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