मंगलवार, 4 सितंबर 2012

प्रणाम मेरे अध्यापक ..


प्रणाम मेरे अध्यापक ..

प्रणाम मेरे अध्यापक
प्रणाम मेरे उद्वारक
जननी और जनक से
ज्यादा आपका सम्मान है
मेरा होना इत्तिफाक
हो सकता है लेकिन
मेरा बनना तो आप की
साधना का परिणाम है
मै जो भी हूँ बना आज
सब आपका करम है ..
जो कुछ भी बन पाया हूँ
मै उसके योग्य तो नहीं था
पर आपका आशीर्वाद
हर पल साथ रहता है
प्रणाम मेरे संस्थापक
प्रणाम मेरे अध्यापक
याद आ रहा है वो प्रार्थना
करना भगवान से
की आप की साइकिल में पंक्चर हो जाये
और आप स्कूल न आ पाए
और जब कभी आप नहीं आते
तो हम ख़ुशी से झूम उठते
पर आप ने तो सदैव कामना
हमारे भले की ही की होगी
प्रणाम उच्च विचारक
प्रणाम् मेरे अध्यापक
आपकी जुबान से शब्द नहीं
हीरे मोती गिरा करते थे
हम नादाँ थे जो उनका
मोल न समझ पाए
आपकी डांट में औचित्य था
आपकी मार में प्रेम भाव
प्रणाम मेरे पथ प्रदर्शक
प्रणाम मेरे अध्यापक
------ जय सिंह 

शिक्षक दिवस पर विशेष



 आपके अशिर्बाद से ,
तालीम से और ज्ञान से
उपदेश से , उसूल से
सार और व्याख्यान से
अप्रमाण जीवन को मिली 
परिधि नई,नव दिशा
श्वेत मानस पटल पर 
स्वरूप विद्या का धरा
डगमगाते कदम को 
नेक राह दीआधार दिया
संकीर्ण ,संकुचित बुद्धि को 
अनंत सा विस्तार दिया
पहले सेमल से कपास 
पश्चात कपास को सूत कर 
रूई को आकृति एक 
और बाती सा सुन्दर नाम दिया
कभी आचार से ,
सदाचार से ,
कभी नियम-दुलार से
उद्दंडता को दंड देकर 
हमे विकसित कियाआयाम दिया.
निर्लोभ रह देते रहे सब ,
न कुछ अभिलाषा रही
पात्र जीवन मे सफल हो 
शायद यही आशा रही
आपके ऋण से उऋण किसी हाल हो सकते नहीं
कुछ शब्द मे अनुसंशा कर जज़्बात कह सकते नहीं
गुरुवर मेरे सिर पर पुनः 
आशीषमय कर रख दीजिये
जय इतना आगे बढे 
उतना मार्गदर्शन दीजिये
जय सिंह 


गुरुवार, 8 मार्च 2012

होली में महिला दिवस


महिला दिवस से ठीक पहले होली
 यह सुनकर एक मेरे दोस्त ने बोली  
अचानक  आप फील गुड  हो गए
 उगते सूरज की तरह हम हंसते हुए बोले
आज - कल चर्चा हर घर- घर , जन- जन में है
 एक नई होली जलाने का इरादा मेरे  मन में है
मैंने  कहा- सोच रहा हु इस  बार 
कोई नया गुल खिलायेगे 
 होली का मौसम है इस लिए 
एक तीर से दो निशाना लगायेगे  
 एक तो हम नई परंपरा अपनायेगे 
और आप जैसी  किसी खुबसूरत  महिला से
होली जल्वायेगे 
क्यों की इक्कीसवी सदी की महिलाये
 जीवन  के हर छेत्र  में 
 पुरुषो से कन्धा से कन्धा मिलाती है 
और जहाँ तक  जलाने का सवाल है तो 
घर में चुल्ल्हे  से लेकर
 बाहर न जाने  कितनो के
 दिल जलाती  है 

सारा रारा होली है. 


आपका -         जय सिंह  

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

एक तू ही धनवान है गोरी



                                                       चाँदी जैसा रँग है तेरा सोने जैसे बाल !
एक तू ही धनवान है गोरी बाकी सब कँगाल !!
जिस जगह पे तू ठहरे वो पैसों से भर जाये!
पर देश मे एक भूखा बिन रोटी के मर जाये !!
दिग्गी कपिल मनीष राहुल हैँ तेरे लाल !
तू जिस को बना ले दास वो हो जाये मालामाल !!
जो सज्जन हो उस पर क्या क्या रौब दिखातेलोग !
जिन्दा देशभक्तो पर जाने कितने इल्जामलगाते ये लोग !!
चिताओँ पर गायेगे गाथा उनकी
मगर देशभक्तो को ही देशभक्ति सिखाते है ये लोग
इटली की रानी थोड़ा भारत का भी रखो ख्याल
देश मेँ ईसाईत और इस्लाम का मत फैलाओ जाल
आतंकवाद लूट घोटाले और बलात्कार सब है तेरा रुप
कलमाड़ी हो या राजा है सब मे तेरा रुप
तू मिट जाये खाक होकर हो जाये तू बेहाल
चाँदी जैसा रँग है गोरी सोने जैसे बाल
मुन्नु करे तेरी सेवा
मीडिया करे तेरा गुणगान
प्रतिभा पकाये तेरे लिये पराठे
भारत की गिरवी रख दी तूने शान
दिल भरकर गाली देते है
तुझको ये भारत के लोग
तू किस किस को चुप करायेगी
बहुत सह चुके ये लोग
बस बचा है धनवान


जय सिंह  

राजनीति के रंग


राजनीति के रंग निराले भैया
चलते है तीर और भाले भैया
बिन पेदी के लोटा है सब
रोज ही बदले पाले भैया
सुबह शाम उड़ाये छप्पन भोग वे
जनता के लिए महंगी दाले भैया
चुनाव भर घुमें ये घर-घर पैदल
कार में भी मंत्री जी को आये छाले भैया
 करते है परिवार के साथ विदेश में शापिंग
आमजन को है खाने को लाले भैया
 संसद को बना दिया आरोपों का अखाड़ा
विकास की बात पे, जुवां पे लगे है ताले भैया
रहते है इन्हे बस कुर्सी की चिन्ता
कुर्सी के लिए देश को भी बेंच डाले भैया
बोफोर्स]चारा]टेलीकाम]हवाला
इनके बड़े-बडे़ घोटाले भैया
राजनीति के रंग निराले भैया
 दिल के है सब काले भैया।


आपका - जय सिंह