राजनीति के रंग निराले भैया
चलते है तीर और भाले भैया
बिन पेदी के लोटा है सब
रोज ही बदले पाले भैया
सुबह शाम उड़ाये छप्पन भोग वे
जनता के लिए महंगी दाले भैया
चुनाव भर घुमें ये घर-घर पैदल
कार में भी मंत्री जी को आये छाले भैया
करते है परिवार के साथ विदेश में शापिंग
आमजन को है खाने को लाले भैया
संसद को बना दिया आरोपों का अखाड़ा
विकास की बात पे, जुवां पे लगे है ताले भैया
रहते है इन्हे बस कुर्सी की चिन्ता
कुर्सी के लिए देश को भी बेंच डाले भैया
बोफोर्स]चारा]टेलीकाम]हवाला
इनके बड़े-बडे़ घोटाले भैया
राजनीति के रंग निराले भैया
दिल के है सब काले भैया।
आपका - जय सिंह