महिला दिवस से ठीक पहले होली
यह सुनकर एक मेरे दोस्त ने बोली
अचानक आप फील गुड हो गए
उगते सूरज की तरह हम हंसते हुए बोले
आज - कल चर्चा हर घर- घर , जन- जन में है
एक नई होली जलाने का इरादा मेरे मन में है
मैंने कहा- सोच रहा हु इस बार
कोई नया गुल खिलायेगे
होली का मौसम है इस लिए
एक तो हम नई परंपरा अपनायेगे
और आप जैसी किसी खुबसूरत महिला से
होली जल्वायेगे
होली जल्वायेगे
क्यों की इक्कीसवी सदी की महिलाये
जीवन के हर छेत्र में
पुरुषो से कन्धा से कन्धा मिलाती है
पुरुषो से कन्धा से कन्धा मिलाती है
और जहाँ तक जलाने का सवाल है तो
घर में चुल्ल्हे से लेकर
बाहर न जाने कितनो के
दिल जलाती है
दिल जलाती है
आपका - जय सिंह