बुधवार, 5 अगस्त 2020

गुस्सा आने पर ..........

गुस्सा आने पर हम अक्सर कुछ ऐसे काम कर जाते हैं, जो हमारे साथ दूसरों के लिए भी नुकसान पहुंचाने वाला साबित होते हैं। हमारे शरीर में गुस्से के दौरान कुछ ऐसे परिवर्तन होते हैं, जिनसे हमारी एक्टिविटी पर असर पड़ता है। इसलिए गुस्सा आने पर कुछ कामों से बचना चाहिए, ताकि उसके नेगेटिव प्रभाव से बचा जा सके।
कुछ बातों को ध्यान में रखकर बहुत कुछ ठीक किया जा सकता है ...........

तत्काल सोने न जाएं
गुस्से के दौरान सोने से हमारे शरीर में नकारात्मक भावनाएं जड़ जमाने लगती हैं। इससे शरीर पर विपरीत असर पड़ता है। सोने के बाद हम अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं कर पाते। ऐसा होने से जब हम गुस्से में सो जाते हैं तो यह भावना और बढ़ जाती है। गुस्सा आने पर कुछ देर रिलैक्स करने के बाद ही बिस्तर पर जाना चाहिए।
गाड़ी चलाने से बचें
जब हम गुस्से में होते हैं तो हमारा चीजों को देखने का नजरिया बदल जाता है। हम अधिकांश चीजों को नकारात्मक तरीके से देखने लगते हैं। ऐसा होने पर जब हम वाहन चलाते हैं तो आसपास के शोर के कारण हमारे गुस्से को और अधिक बल मिलता है। ऐसी स्थिति में दुर्घटना का शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है।

खाने को ना कहें
गुस्से के दौरान होने वाले शारीरिक बदलाव के कारण हमारे खाने की आदत में बदलाव आ जाता है। बहुत से लोग गुस्से में या तो बहुत अधिक खाना खाते हैं या बहुत कम। ऐसा होने पर इसका बुरा असर हमारे डायजेस्टिव सिस्टम पर पड़ता है। इसलिए यदि बार-बार गुस्सा आने की समस्या का सामना कर रहे हों, तो इससे बाहर निकलने के बाद ही खाना खाएं। गुस्से में खाया गया भोजन शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
बहस न करें
जब व्यक्ति गुस्से में होता है तो उसके दिमाग में ऐसा हार्मोनल डिसबैलेंस पैदा हो जाता है, जिससे उसकी सही-गलत की समझ कमजोर हो जाती है। ऐसे में की गई बहस बाद में आत्मग्लानि में बदल सकती है। गुस्से में विचारों पर नियंत्रण कम हो जाता है। इससे हम बहस के दौरान अपशब्दों का इस्तेमाल करने से भी गुरेज नहीं करते। इसलिए गुस्से पर काबू करने के बाद की गई स्वस्थ बातचीत कारगर होती है।
गुस्सा आने के बाद यदि आप किसी बात को बेवजह दोहराते रहते हैं तो आपकी उस बात के प्रति ठोस धारणा बन जाती है। ऐसा होने से हम सही-गलत का अंतर नहीं कर पाते। परिस्थितियों को ठीक तौर पर भांपने के बाद किसी बात पर विचार करना ज्यादा अच्छा होता है। गुस्से में भावनाओं पर से नियंत्रण हटना खतरनाक होता है।



जय सिंह 
युवा कवि, कहानीकार, व्यंगकार 

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