मंगलवार, 17 मार्च 2015

तुम्हे पाने की जिद

तुम्हे पाने की जिद
तुम्हे पाने की दिल में, जिद जो उठी नही होती
मेरी दुनिया इस तरह हरगीज लुटी नही होती
भीगी-भीगी आंखे है, सुबह से शाम तक दिलबर
तेरी चाहत जो न होती, ये बारिश नही होती
तेरी यादें  हर पल मुझे बेचैन करती है
मै पागल कैसे होता, अगर साजिश नही होती
हर पल अंधेरे से, यूं  दिलों के है भरे कमरे
दिल के दर पे कोर्इ डोर बंधी नही होती
'जय' तेरी चाहत कैद है, दिन-रात उसकी सांसो मेें
ये दिल यूं पत्थर न होता, जो उनसे रंजिश नही होती।

आपका - जय सिंह 

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