माँ की आंचल का मोड़ कर किनारा
पापा के आंगन में खिला उजियारा
आस्था के फूल करूँ ईश्वर को अर्पित
कमजोर घड़ियों में प्रभु हो तेरा सहारा
खुशियों के नुपूर बजने लगे रुनझुन
आज सुनहरा जनम दिन हमारा ................जय सिंह
पापा के आंगन में खिला उजियारा
आस्था के फूल करूँ ईश्वर को अर्पित
कमजोर घड़ियों में प्रभु हो तेरा सहारा
खुशियों के नुपूर बजने लगे रुनझुन
आज सुनहरा जनम दिन हमारा ................जय सिंह
जन्म दिन मुबारक हो
लो माँ .... एक साल और बीत गया
ना हो पाया इस साल भी
हमारा मिलन,
सोचा था
इस जनम दिन पर मै तुम्हारे साथ रहूँगा
पर मेरी विवशता देखो ,
नहीं आ पाया इस साल,
हर साल की तरह
क्योकि .........
मै निभा रहा हूं
उन कसमों को उन वादों को
जो तुमने मुझे निभाने को कहा था
समाज के उन दायित्वों को
जो तुमने सिखाया था
जब मै विदा हुआ था
उस घर से इस आई.आई.एम.सी. में
ट्रेनिंग के लिए
पर माँ !
मै एक आफिसर और समाज सेवक के साथ-साथ
एक राजा बेटा भी हूं न .......
मुझे भी तुम्हारी याद बहुत आती है
तुम्हारी वो सुकून भरी गोद
तुम्हारी हाथों से नारियल का लड्डू खाना........
जब मै टूटता या बिखरता हूं
पर, फिर लग जाता हूं
निभाने दायित्वों को
तुम्हारी ही दी हुई शिक्षा को
तुम भी तो मुझे याद करती होगी माँ !
पर
तुम भी तो घिरी हो दायित्वों के घेरे में,
पर, तुम कभी नहीं थकती |
लेकिन, मै देख पाता हूं वो मायूसी
जो मेरे दूर रहने से छा जाती है
तुम्हारी आँखों में
पर माँ !
तुम उदास मत होना
शायद अगले साल
तुम्हारे जन्म दिन पर मै
तुम्हारे पास होऊं
इसी इंतजार में .....
आज से ही गिनता हूं दिन
365 हाँ पूरे 365 दिन
फिर मिलकर काटेंगे केक
मै खिलाऊंगा केक का टुकड़ा तुम्हे
जो अपने घर से दूर रहकर नहीं खिला पाया
और तुमने भी तो ...... मेरे कारण
केक बनाना ही छोड़ दिया
और छोड़ दिया जन्म मनाना भी
माँ ! अगले साल मनायेगे जन्म दिन
सजायेंगे महफ़िल
और तुम केक बनाकर रखना
और फिर मेरा इंतज़ार करना .....


जन्मदिवस के इस अवसर पर
जन्मदिवस के इस अवसर पर
थोड़ा सा तो इंज्वाय हो जाय
गुमसुम से बैठे हैं हम तुम
चलो एक कप चाय हो जाय।
धूम धडा़का किया बचपन भर
जीवन जी भर जिया मस्ती भर
आज सुखद यह शीतल मौसम
उनकी यादों में डूबा मन
खिड़की में यह सुबह सुहानी
यों ही ना बेकार हो जाय
चलो एक कप चाय हो जाय।
खुशबू तो हमने महकाई
देखो सबने है अपनाई
जगह-जगह लगते हैं मेले
हम क्यों बैठे यहाँ अकेले
नयी हमारी इस किताब का
ज़रा एक अध्याय हो जाय
चलो एक कप चाय हो जाय।
फूल भरा सुंदर गुलदस्ता
देखो कहता हंसता हंसता
दुख का जीवन में ना भय हो
जन्मदिवस शुभ मंगलमय हो
रस मलाई का डिब्बा खोलो
मुंह मीठा एक बार हो जाय
चलो एक कप चाय हो जाय।
जन्मदिवस के इस अवसर पर
थोड़ा सा तो इंज्वाय हो जाय..............जय सिंह
मुबारक जन्मदिन मुबारक तुझे
(मेरी माता जी द्वारा मुझे समर्पित)
मुबारक जन्मदिन मुबारक तुझे
जिन्दगी का हर एक पल मुबारक तुझे
तेरी किलकारी से गूंजे आंगन मेरा
चंदा गोदी में लोरी सुनाये तुझे
मुबारक जन्मदिन मुबारक तुझे…….
टूटें कितने खिलोने कोई गम नहीं
पर खिलौना मेरा मुझसे न रूठे कभी
हैं तुझ पर न्योछावर ये सांसें मेरी
आंसू आँखों से तेरी न छलके कभी
आ के दादी के आंचल में छुप जाना तूं
भूल से भी अगर कोई डांटे तुझे
मुबारक जन्मदिन मुबारक तुझे…
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें