डायरी
करती है बातें
बीते जमानों की
दूनिया की, इन्सानों की
झुठी कलंक व बदनामी की
बेगुनाह लड़की की बरबादी की
आज की, कल की
एक-एक पल की
खुशियों की, गमों की
फूलों की, बमों की
पिछले अच्छे कर्मो की
पवित्र रिश्तो के धर्मो की
जीत की, हार की
प्यार की, मार की
क्या तुम नही सुनोगे
इस डायरी की बातें ?
डायरी कुछ कहना चाहती है
तुम्हारे पास रहना चाहती है
डायरी में गोपियां खिलखिलाती है
डायरी में आशिकों का जीवन चहचहाती है
डायरी करती है बातें
हंसी की, सौगात की
गाली की, बौछार की
रिश्ते की, अपमान की
अपनों की औकात की
कुछ छड़ों की बात की
मधुमास
की प्यारी रात की
मन में शक की आवाज की
डायरी में झरने गुनगुनाते है
परियों के किस्से सुनाते है
डायरी में बहुत बड़ा राज़ है
टूटे हुए दिल की आवाज है
जय
के प्यार का पैगाम है
डायरी का कितना बड़ा संसार है
क्या तुम इस संसार में
नहीं जाना चाहोंगे ?
डायरी कुछ कहना चाहती है
तुम्हारे दिल में बसना चाहती है।
आपका--------------- जय सिंह