समझ आती नहीं की मदद किसकी करूँ
अपने टूटे हुए दिल के दर्द को कैसे भरूँ
जरुरतमंदो की मदद किया तो
झूठे जरूरतमंद मिलने लगे
बिधवा की मदद किया तो, जमाना कह पड़ा की
प्यार का फँसाना दे रहा है
अनाथ बेसहारा लड़की की मदद किया तो
लोग बोल पड़े की प्यार कर रहा है
अपाहिजों की मदद किया तो
लोग कहने लगे की
बिकलांग योजनाओं का
लाभ उठाना चाहता है
भिखारियों की मदद किया तो
सब भिखारी बन गए
दबे लोगों की मदद किया तो, लोग ताना देने लगे की
नेता बनाने का शौक हो गया है
गरीबों की मदद किया तो लोग कह पड़े की
मजबूरी का फायदा उठाना चाहता है
अनपढ़ों की मदद किया तो लोग कह पड़े की
दिमागी रूप से पागल हो गया है
अग्नि पीड़ितों की मदद पर
लोग झोपड़ियाँ जलाने लगे
रिश्तेदारों की मदद जी जान से किया तो
चरित्र पर ही लांछन लग गया
उस कलंक को हमेशा के लिए मिटाना चाहा तो
मेरा जीवन ही तमाशा बन गया
हार थक कर विचार किया हमने की
मदद करना ही बेकार है
क्योंकि हमेशा पात्र ब्यक्ति वंचित रह जाता है
जो वास्तव में मदद पाने का हक़दार है
और समाज में सबसे ज्यादा परेशान है
आपका ------------------
जय सिंह